Jat e Bujhho Sadhu ri / जात ई बूझौ साधू री

लेखक का नाम – उम्मेद गोठवाल
ISBN – 978-9383148431

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Description

कबीर कहता है कि जात न बूझो साधु की, पूछ लीजो ज्ञान…. परंतु सामाजिक, राजनीतिक हकीकत के बीच समय कह रहा है कि साधु से ज्ञान भले ही न पूछें, उसकी जाति पूछ लें और फिर उसके अनुरूप उससे व्यवहार करें। भारतीय जातीय व्यवस्था के बीच सच को प्रकट करती यह कृति राजस्थानी साहित्य में पहली दलित नाट्य कृति है, जिसमें दलित न केवल अन्य वर्गों से दला जा रहा है अपितु खुद दलित भी सवर्ण होने को आमादा है और अपने ही वर्ग के शोषक के रूप में खड़ा है। जातीय पड़ताल करता यह नाटक समाज का कड़वा सच है। राजस्थानी दलित साहित्य की इस उल्लेखनीय कृति के नाटककार हैं उम्मेद गोठवाल। गोठवाल की इससे पहले आत्मकथा ‘च मानी चमार’ और काव्य कृति ‘पेपलौ चमार’ भी दलित दस्तक देती हुई लोकप्रिय रही हैं।

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